De Tweede Ronde. Jaargang 28
(2007)– [tijdschrift] Tweede Ronde, De– Auteursrechtelijk beschermdVermist
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Toch worden ze door niemand herkend.
De vage foto's die op de biljetten staan
lijken niet;
over het verdriet van toen
ligt nu de pijn van de doorstane ellende.
Het klimaat in de stad heeft hun gezichten veranderd;
ze eten weinig, slapen weinig, spreken weinig,
veranderen voortdurend van adres,
er is geen verschil tussen moeilijke en makkelijke dagen.
Nu zijn ze in een heel andere wereld
en kijken een beetje nieuwsgierig naar de opsporingsberichten
die hun wanhopige ouders af en toe bij laten drukken,
waarop nog altijd staat
dat ze tien of elf jaar oud zijn.
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गुमशुदाशहर के पेशाबघरों और अन्य लोकप्रिय जगहों में
उन गुमशुदा लोगों की तलाश के पोस्टर
अब भी चिपके दिखते हैं
जो कई बरस पहले दस-बारह साल की उम्र में
बिना बताये घरों से निकले थे
पोस्टरों के अनुसार उनका क़द मँझोला है
रंग गोरा नहीं गेहुँआ या साँवला है
हवाई चप्पल पहने हैं
चेहरे पर किसी चोट का निशान है
और उनकी माँएँ उनके बगैर रोती रहती हैं
पोस्टरों के अंत में यह आश्वासन भी रहता है
कि लापता की ख़बर देनेवाले को मिलेगा
यथासंभव उचित ईनाम
तब भी वे किसी की पहचान में नहीं आते
पोस्टरों में छपी धुँधली तस्वीरों से
उनका हुलिया नहीं मिलता
उनकी शुरुआती उदासी पर
अब तकलीफ़ झेलने की ताब है।
शहर के मौसम के हिसाब से बदलते गये हैं उनके चेहरे
कम खाते कम सोते कम बोलते
लगातर अपने पते बदलते
सरल और कठिन दिनों को एक जैसा बिताते
अब वे एक दूसरी ही दुनिया में हैं
कुछ कुतूहल के साथ
अपनी गुमशुदगी के पोस्टर देखते हुए
जिन्हें उनके परेशान माता-पिता जब-तब छपवाते रहते हैं
जिनमें अब भी दस या बारह
लिखी होती है उनकी उम्र.
मंगलेश डबराल
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